Potato journey / आलू का सफर

विषय सूची
आलू -बहु उपयोगी खाध्य Potato journey
आलू एक बहु-उपयोगी वस्तु है, जो आमतौर पर सारी दुनिया में पाई जाती है। एक लोकप्रिय सब्जी के होने के अतिरिक्त आलू से पचासों प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। शायद ही कोई ऐसा घर हो, जो आलू के उपयोग से अछूता रहा हो। आलू सरलता से काम में आने वाली वस्तु होने के कारण बहुत लोकप्रिय है। आलू प्राय: हर मौसम में सर्वत्र सहजता से सुलभ हो सकता है। यह तथ्य इसकी उपयोगिता को और अधिक बढ़ा देता हैं।
कभी नफरत का शिकार रहा है आलू Potato journey

आज आलू को जो आदर और लोकप्रियता हासिल है, इसके लिए पीछे है, आलू की कुर्बानियों का इतिहास छुपा है। आलू ने नफरतों भरा वह दौर भुगता जब उसे घृणा और तिरस्कार के नजरिये से देखा जाता था।
आलू मूलतः अमेरिका की देन है। करीब चार-पांच हजार वर्ष पहले से पीरू में आलू की खेती की जाती रही है। यूरोप में आलू लाने का श्रेय मशहूर मल्लाह सर वाल्टर रेले को जाता है। उन्होंने अमेरिका से आलू के कुछ पौधे जलाकर ईसाई धर्म गुरू पोप को भेंट किए। लेकिन आलू के अमेरिका से यूरोप में प्रवेश के मार्ग में कट्टरपंथी रूढ़िवादियों ने काफी रोड़े अटकाये। उनका कहना था कि जिस फसल का जिक्र “बाईबिल‘ में नहीं है, वह खाने योग्य नहीं हो सकती ।
यूरोप में आलू की खेती की शुरूआत हालैण्ड से हुई। धीरे-धीरे अन्य देशों में भी आलू उगाया जाने लगा। लेकिन आलू के विराधियों के धुआंधार प्रचार के कारण आलू आम जनता में मनचाही शोहरत हासिल नहीं कर सका। इसे सबसे घटिया किस्म की सब्जी माना जाता था। उस जमाने में लोगों का तर्क था कि जिस पौधे के फूल-पत्तों को तो फेंक दिया जाता है, उसकी जड़ो को कैसे खाया जा सकता है? कई लोगों ने आलू के पत्तों, तनों आदि को खाने का प्रयास किया किंतु वह बीमार पड़ गए। नतीजा यह हुआ कि आलू के प्रति लोगों की धारणा और भी अधिक पुष्ट हो गई।
फ़्रांस में रानी ने शुरूआत की आलू की Potato journey

फ़्रांस में आलू की खेती की शुरूआत बड़ी दिलचस्प रही | फ़्रांस के सम्राट लुई की रानी एंतोहते एक रोज अपने जूड़े में बिल्कुल नई किस्म का फूल लगाकर राज-दरबार में उपस्थित हुई। सब बड़े कौतूहल से उन फूलों को देख रहे थे। स्वयं सम्राट भी नहीं जानते थे कि ये कौन-से फूल हैं? दरयाफ्त करने पर पता चला कि जर्मनी से प्राप्त आलू के बीजों से उगे पोधे के ये फूल हैं। इसके बाद साम्राज्ञी द्वारा प्रचलित फैशन की नकल करने के लिए फ़्रांस में आलू की खेती होने लगी।
सन् 1596 ई0 में प्रसिद्ध जड़ी–बूटी विज्ञानी जान गेरार्ड ने अपने बगीचे में आलू की फसल उगाई। काफी अच्छी फसल हुई लेकिन उन दिनों इंग्लैण्ड बुरी तरह अकाल की चपेट में आ गया। लोग दाने-दाने को मोहताज हो गये। इस विषम परिस्थिति में गेरार्ड ने अपनी आलू की फसल लोगों को खाने को कहा l लेकिन लोगों ने भूख से दम तोड़ना मंजूर किया परंतु आलू खाना अस्वीकार कर दिया, दरअसल लोगों में यह भ्रान्ति व्याप्त थी कि आलू खाने से कई भयानक रोग जैसे तपेदिक, कोढ़, स्कीफुला आदि हो जाते हैं। सन् 1619 ई0 से आलू की खेती को प्रतिबंधित कर दिया।
आयरलेंड की जनता आलू के कारण भूखे मरने से बची
अलबत्ता आयरलैण्ड की जनता ने आलू का अपमान नहीं किया। इसके पीछे भी एक खास वजह है। जब क्रोमवेल ने आयरलैण्ड पर आक्रमण किया, तो आलू ने आयरलैण्ड की जनता को भूखों मरने से बचाया। क्रोमवैल के फौजी विजयोन्माद में खेत-खलिहानों में खड़ी फसल को रौंदते-जलाते आगे बढ़ते गए। सभी फसले नष्ट हो गईं किंतु जमीन के अन्दर होने से आलू बच गये। सैनिक आलू के पौधों की विचित्र बनावट के कारण उसे जंगली घास समझे और उसे उखाड़ा भी नहीं। इस कारण जब सारी फसलें बर्बाद हो गई तो आयरलैण्ड की जनता ने शेष बचे आलूओं को खाकर अपनी जान बचाई।

जर्मनी और आस्ट्रिया के बीच युद्ध के दौरान जब दोनों पक्षों की रसद और खाद्य-सामग्री समाप्त हो गई तो आस-पास खेतों में उगे आलूओं को खा-खाकर उन्होंने युद्ध जारी रखा। निरंतर आलू खाने से सैनिकों में आलू के प्रति वितृष्णा पैदा हो गई और युद्ध स्थल के समीप रहने वाले किसानों ने भी आलू उगाना बंद कर दिया क्योंकि सारी फसल सैनिकों ने चौपट कर दी थी।
आलू को प्रतिष्ठा दिलाई कर्नल रम्फ़ोर्ड ने
आलू को लोकप्रियता और प्रतिष्ठा दिलाने में अमेरिकी मूल के ब्रिट्रिश नागरिक कर्नल रमफोर्ड ने मुख्य भूमिका निभाई। रमफोर्ड ब्रिटिश आर्मी में एक महत्वपूर्ण पद पर आसीन रोबदार व प्रभावशाली अधिकारी थे। सन् 1784 ई0 में कर्नल रमफोर्ड बावेरिया के सम्राट के निमंत्रण पर बावेरिया चले गए, जहां जर्मन सेना में रमफोर्ड ने कई मूलभूत परिवर्तन किए। उन्होंने जर्मन सैनिकों को अपने उपयोग की सब्जी उगाने का निर्देश दिया। अपने सब्जी उगाओ अभियान में उन्होंने आलू को महत्वपूर्ण स्थान दिया।
रमफोर्ड के मुताबिक, आलू सैनिकों, मजदूरों आदि समूहों के वास्ते एक अत्यंत उपयोगी वस्तु थी। उन्होंने सैनिकों के लिए आलू की खेती अनिवार्य कर दी। इस तरह धीरे-धीरे लोग आलू के गुणों से परिचित होने लगे व उसकी उपयोगिता को स्वीकारने लगे। कर्नल रमफोर्ड ने आलू के सेवन से होने वाली तथाकथित बीमारियों के बारे में लोगों में व्याप्त मिथ्या धारणाओं का खंडन किया। इस तरह समाज में प्रताड़ित आलू को धीरे-धीरे सम्मानजनक स्थान हासिल हुआ ।
कहा जाता है कि आलू की खेती की शुरूआत अमेरिका में अमेजिन नदी के मुहाने पर घाटियों और पठारों पर इनका जाति के लोगों ने की थी। वे इसे ‘पायस’ के नाम से पुकारते थे। भारत में आलू की आमद सत्रहवीं सदी के शुरू में हुई। बताया जाता है कि सन् 1645 में सर टामस रो के सम्मान में आयोजित भोज में पहली दफा आलू के व्यंजन परोसे गए। इसकी खेती भारत में सन् 1822 के आसपास नीलगिरी की पर्वतमाला में शुरू हुई। आज भारत में लगभग दस लाख हैक्टर से अधिक भूमि पर आलू उगाए जाते हैं।