शुतुरमुर्ग | Ostrich

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शुतुरमुर्ग Ostrich –आकार और वजन में सबसे बड़ा पक्षी
संसार में 86 हजार से भी अधिक प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। शुतुरमुर्ग इन सभी में आकार और वजन की दृष्टि से सबसे बड़ा पक्षी है। यह कैसी विडम्बना है कि बहुत ही शानदार और बड़े-बड़े पंख होने के बावजूद यह परिन्दा मुक्त आकाश में उड़ान भरने में असमर्थ है।
संकट में रेत में गर्दन क्यों छुपाता है शुतुरमुर्ग Ostrich?
संकट के समय अपनी गर्दन रेत में छुपा लेने की आदत के कारण यह मानव-समाज में उपहास का पात्र तथा कई कहावतों का नायक बना है किन्तु रेत में गर्दन छुपाने की यह अदा वास्तव में शुतुरमुर्ग की प्राकृतिक सुरक्षा व्यवस्था का एक भाग है। खतरे के समय यह अपनी गर्दन और सिर को रेत में छुपाकर अपने शरीर को गोलाकार बॉल के रूप में परिवर्तित कर लेता है ताकि शत्रु उसे चट्टान का एक टुकड़ा समझे।
कितने सालों से धरती पर है शुतुरमुर्गOstrich ?
शुतुरमुर्ग लाखों सालो से इस धरती का स्थायी निवासी हैl
शुतुरमुर्ग दुनिया में कहाँ कहाँ पाया जाता है Ostrich ?

संसार के अधिकांश भागो में यह पाया जाता है। सबसे बड़े आकार का शुतुरमुर्ग उत्तरी अफीका में एटलस पर्वत के दक्षिण में सेनेगल और नाइजर तथा सूडान से मध्य इथियोपिया के क्षेत्रों में पाया जाता है। वैसे भारत, सीरिया मैसोपोटामिया, मिस्त्र, अफ़ीका आदि देशों में शुतुरमुर्गों की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं।
शुतुरमुर्ग Ostrich का वजन , ऊंचाई और शारीरिक संरचना
लंबी टांगो व लंबी गर्दन वाले इस पक्षी की ऊंचाई 8-9 फुट तथा वजन 420 से 450 – किलोग्राम तक होता है। नर शुतुरमुर्ग का रंग काला तथा डैने व दुम सफेद होती है। मादा शुतुरमुर्ग आकार मे अपेक्षाकृत छोटी होती है तथा उसका रंग भूरा होता है। इस पक्षी की लम्बी टांगों में दो पंजे होते हैं, जिनमें से एक काफी बड़ा होता है और इसी पर उसके शरीर का पूरा भार रहता है।
इसके खूबसूरत पंखो की लम्बाई एक मीटर तक होती है। इसकी टांगे तथा चोंच बहुत मजबूत होती है। इसकी अंडाकार आँखे बहुत तेज होती हैं तथा इनसे वह दस किलोमीटर दूर तक देख सकता है। यह आश्चर्यजनक है कि इतनी बड़े आकार के प्राणी के मस्तिष्क का आकार मटर के दाने के बराबर होता है।
मादा शुतुरमुर्ग Ostrich के अंडे
माता शुतुरर्मुग रेत में बने छिद्रों में एक बार में 42 से 48 तक अण्डे देती है। यह अण्डे 5 से 20 सेन्टीमीटर लम्बे तथा 4 किलो 700 ग्राम तक वजनी होते हैं। इनका व्यास 40 से 45 सेन्टीमीटर तक होता है। अण्डो को सेने का काम दिन में मादा तथा रात में नर द्वारा किया जाता है। 42 से 45 दिन बाद अण्डों से बच्चे निकलते हैं।
मादा शुतुरमुर्ग अपने डैनों से अपने बच्चों को ढंक कर उनकी रक्षा करती है। एक महीने में बच्चों का कद एक फुट बढ़ जाता है। मादा शुतुरमुर्ग अपने बच्चों की रक्षा के लिए हिंसक जंगली जानवरों से भिड़ जाने में भी नहीं हिचकिचाती।
शुतुरमुर्ग Ostrich कितनी तेज गति से दौड़ सकता है ?
प्रकृति ने शुतुरमुर्ग के नहीं उड़ पाने की कमी को उसे चलने की अत्यन्त तीव्र गति प्रदान करके पूरा किया है। यह साढ़े सात मीटर तक लम्बा डग भर सकता है और घोड़े से भी तेज गति से दौड़ सकता है। इसकी सामान्य गति पैंतीस किलोमीटर प्रति घंटा है किन्तु आवश्यकता पड़ने पर यह अस्सी किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से लगातार दस घण्टे तक दौड सकता है। यह रेल अथवा मोटर की सामान्य गति से अधिक तीव्र गति से दौड सकता है। इसके पंख भले ही उड़ने में मदद नहीं करते हों, लेकिन दौड़ने में यह बहुत सहायक होते हैं।
शुतुरमुर्ग Ostrich की पाचन शक्ति
शुतुरर्मुग आमतौर पर दस-बारह के समूह में रहना पसन्द करते हैं। इसका मुख्य आहार झाड़ियों के पत्ते, घांस, बीज, फल आदि हैं। वैसे यह छोटी-छोटी चिड़ियां और पत्ंगों को भी खा लेता है। इसकी पाचन शक्ति इतनी अद्भुत है कि यह हरेक वस्तु को पचा सकता है। यह पत्थर तक खाकर हजम कर जाता है। चमकीली वस्तुएं इसे बेहद पसंद हैं। सिक्के, हीरे, प्लग आदि यह आराम से खा जाता है। एक बार एक शुतुरमुर्ग के पेट से पचास से भी अधिक हीरे निकले।

क्रोध आने पर घातक
क्रोध में आने पर शुतुरमुर्ग बहुत ही आक्रामक व घातक हो जाता है। आक्रमण के समय यह अपनी लम्बी टांगो तथा मजबूत चोंच का इस्तेमाल करता है। इसकी टांगों की लताड से हिंसक पशु भी बचने का प्रयास करते हैं। कोध की अवस्था में इसकी चोंच के प्रहार की मारक क्षमता इतनी अधिक होती है कि वह लोहे के चद्दर तक में छेद कर सकता है।
शुतुरमुर्ग Ostrich के पंख
इस पक्षी के पंख बहुत खूबसूरत होते हैं। इस शताब्दी के आरम्भ में शुतुरमुर्ग के पंखो से सज्जित हैटों तथा बस्त्रों का फैशन बेहद लोकप्रिय था। दक्षिण अफीका, मिस्त्र, अल्जीरिया आदि देशो में कई ‘शुतुरमुर्ग फार्म’ है, जहां इन्हें व्यावसायिक रूप से पाला जाता है। प्रत्येक आठ माह में एक बार इन पालतू शुतुरमुर्गों के पंख निकाल कर उनका निर्यात कर विदेशी मुद्रा कमाई जाती है।
इसके अतिरिक्त ये ‘शुतुरमुर्ग फार्म विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। यहां शुतुरमुर्ग की गरदन पर बैठ कर सवारी करने का मजा भी लिया जा सकता है।
शुतुरमुर्ग Ostrich के शरीर का हर हिस्सा आदमी के लिए उपयोगी
आदमी के लिए शुतुरमुर्ग एक बेहद उपयोगी पक्षी है। ऐसा माना जाता है कि शुतुरमुर्ग के शरीर का केवल दो प्रतिशत ही भाग ऐसा है, जो काम नहीं आता, बाकी पूरा शरीर मनुष्य के लिए उपयोगी है। इसके अण्डों को आदमी बड़े चाव से खाता है। पंजें के नाखूनों तक का इस्तेमाल कलात्मक पेपरवेट के रूप में होता है। पैरों की चर्बी साबुन-निर्माण के लिए प्रयुक्त होती है।
पंख सजावटी वस्तुएं तथा वस्त्र आदि बनाने में काम आते हैं। इसके चमड़े से बनी वस्तुएं जूते, बैग, पर्स आदि बहुत मंहगे दामो में बिकती हैं। शुतुरमुर्ग के मांस को भी शौक से खाया जाता है। कई देश इसके डिब्बा-बंद मांस का बडे पैमाने पर निर्यात करते हैं।
पर्यावरणीय संतुलन के लिए जरूरी शुतुरमुर्ग Ostrich
शुतुरमुर्ग मानव-जाति के लिए पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में एक सहायक प्राणी है। यह इस धरती पर आदमी से बहुत पहले अस्तित्व में आया और स्वयं को वातावरण व परिस्थितियों के मुताबिक ढालकर आज भी अस्तित्व में है। शुतुरमुर्ग आदमी के लिए हर दृष्टि से उपयोगी पक्षी है। चोरी छुपे शुतुरमुर्ग का शिकार होने से इनकी संख्या में गिरावट आती जा रही है। पर्यावरण संरक्षण के लिए इनकी सुरक्षा किया जाना अनिवार्य है।