O God ! your Fellowers we ऐ मालिक! तेरे बन्दे हम
कभी-कभी हर व्यक्ति के जीवन में ऐसा अवसर आता ही है, जब वह खुद को निराशा के खौफनाक अंधेरों से घिरा पाता हैं। उसे नहीं पता होता कि इस रात की कोई सुबह भी है या नहीं। मगर इस ठोस सच्चाई को भला कौन नकार सकता है कि अंधेरे की कालिख में ही रोशनी की किरचें छुपी होती हैं, रात की कोख से नन्हा सूरज जन्म लेता है। ऐसे दौर में प्रायः हमे कोई प्रेरणा, भले ही वह व्यक्ति के रूप में हो, किसी पुस्तक के माध्यम से प्राप्त हो, किसी कविता की पंक्ति से हासिल हो या अन्य किसी भी माध्यम से प्राप्त हो, भुलाये नहीं भूलती। हम उस प्रेरणा के स्त्रोत के हमेशा के लिए ऋणी होकर रह जाते हैं।

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प्रेरणा- एक संजीवनी
वाकई प्रेरणा जीवन के हर क्षेत्र में व्यक्ति के लिए एक संजीवनी की भांति है। दरअसल हर व्यक्ति के भीतर एक आस्थावान मन जरूर होता है। आपाधापी और व्यस्तता में व्यक्ति कुछ अर्से के लिए उसे बिसरा भले ही दे, मगर आस्थाएं मरती नहीं। असल में, अवचेतन मन में दबी आस्थाएं ही निराशा के अंधेरे में एक जीवनदायी प्रेरक का काम करती हैं। प्रेरणा के स्त्रोत शायद वहीं से उपजते हैं।

इंसान में असीम शक्ति
आदमी के पास असीमित क्षमता होती है। मगर वह अपनी क्षमता को कम करके आंकता है। निराशा के दौर में वह अंतहीन क्षमता अंततः बाहर आती है और आश्चर्यजनक तरीके से व्यक्ति बुरे दौर से बाहर निकल आता है। तब लगता है, कहीं कोई अदृश्य शक्ति अवश्य है जो पूरी सृष्टि को संचालित कर रही है।
व्यक्ति अपनी कार्य-क्षमत्ता में अधिकतम वृद्धि करता है और फिर स्वयं को ईश्वर के भरोसे पर छोड़ देता है, जिसे समी का हित देखना है।

ईश्वर की भागीदारी और व्यक्ति की कर्मशीलता
शायद ईश्वर की भागीदारी और व्यक्ति की कर्मशीलता का अनूठा सामंजस्य रंग लाता है और व्यक्ति को वह सारी शक्तियां सहज ही अर्जित हो जाती है, जो उसे चाहिए होती है। अवश्य ही वह शक्तियां ईश्वर ही हैं। व्यक्ति तो केवल उसे संचालित भर करता है।
कितना बेहतर हो, हम कर्मशीलता और आस्था का यह सामंजस्य हमेशा-हमेशा कायम रख सकें। फिर कामयाबी संदिग्ध नहीं रहेगी। क्यों यह जरूरी हो कि हम इस सबके लिए बुरे वक्त तक इंतजार करें? क्यों हम ईश्वर के अस्तित्व को मानने का काम बुरे वक्त तक के लिए छोड़ें? हम उस सर्वशक्तिमान ईश्वर के अस्तित्व को नकार कैसे सकते है भला, जिसके बिना शायद यह दुनिया एक पल भी नहीं चल सकतीl
इतनी शक्ति हमें देना दाता
आइए, हम कर्मशीलता के प्रति कृत-संकल्प हों और हरदम अपने भीतर उस निराकार ईश्वर की शक्ति को महसूस करें, जिसके सहयोग से ही आपके हर काम सम्पन्न हो रहे हैं।
इतनी शक्ति हमें देना दाता,
मन का विश्वास कमजोर हो ना,
हम चलें नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना
O God ! your Fellowers we