grapes | अंगूर

अंगूर एक अत्यंत पौष्टिक , स्वादिष्ट और रसीला फल है । इसमें प्राकृतिक शर्करा की मात्रा अत्यधिक होने के कारण यह पाचक है । शीघ्र पचने के गुण के कारण ही रोगियों को भोजन के रूप में अंगूर खाने की सलाह दी जाती है ।
अंगूर को बांग्ला में ‘ द्राक्षा ‘ मराठी में ‘ द्राक्ष ‘ पंजाबी में ‘ दाख ‘ तेलगू में ‘ द्राक्षापाण्ड ‘ तया अंग्रेजी में ‘ ग्रेप ‘ कहा जाता है । इसका लेटिन नाम ‘ वाइटिसकिनिफेरा ‘ है । आयुर्वेद में अंगूर को बल , वीर्यवर्द्धक वातपित्त नाशक , रक्तवर्द्धक , शीतल तथा सुस्वादु माना गया है ।
विषय सूची
(grapes) अंगूर रासायनिक संरचनाः
प्राकृतिक शर्करा : 18.6 प्रतिशत , नमी : 72.2 प्रतिशत , एसिड : 0.53 प्रतिशत , प्रोटीन 8 प्रतिशत , कार्योज : 10.2 प्रतिशत , वसा : 0.1 प्रतिशत , अम्ल 0.43 प्रतिशत , प्रति सौ ग्राम अंगूर में 18 कैलोरी उर्जा प्राप्त होती है । अंगूर प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट , विटामिन – ए व बी से भरपूर होता है । इसके अतिरिक्त पोटेसियम , लौह तत्व , कैल्शियम , मैगनीज , क्लोरीन , पलोरीन , सल्फर और फास्फोरस जैसे खनिज लवण भी इसमें पाए जाते हैं ।
अंगूर का सर्वाधिक प्रयोग उत्तम किस्म की शराब बनाने में किया जाता है । इसके अतिरिक्त अंगूर को सूखाकर किशमिश भी बनाई जाती है । सिरका , शरबत , जैम , अचार , चटनी आदि में भी इसका इस्तेमाल होता है ।
अच्छी तरह पका हुआ ताजा अंगूर का रस अपने भरपूर ग्लूकोज व फ्रक्टोज से पेट में पहुंचते ही शीघ्र सुपाच्य होकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है । मस्तिष्क की कमजोरी , कब्ज , रक्त विकार , हृदय रोगों , क्षय रोगों , गैस्ट्रिक के घाव , बच्चों का सूखा रोग , जोड़ों का दर्द , गठिया जैसे रोगों के लिए अंगूर एक शक्तिदायक पथ्य है । यह एक उत्तम कीटाणुनाशक है । इसके नियमित सेवन से आंतें , लीवर तथा गुर्दो का कार्य सुचारू होता है । अंगूर का सेवन खुश्की को दूर कर ताजगी व स्फूर्ति प्रदान करने वाला है । यह भूख में वृद्धि कर पाचन तंत्र को पुष्ट करता है।
विभिन्न रोगों के उपचार में (grapes)अंगूर का उपयोगः

खांसी – जुकाम में (grapes) अंगूर का उपयोग :
• जुकाम की शिकायत दूर करने के लिए प्रतिदिन नियमित रूप से अंगूर का सेवन करें ।
• सूखी खांसी में अंगूर को सूखाकर बनाए गए मुनक्का और मिश्री को मुंह में रखकर चूसना चाहिए ।
दंत – रोग (grapes) अंगूर का उपयोग :
• बच्चों के दांत निकलते समय अंगूर के रस में शहद मिलाकर एक चम्मच नित्य बच्चे को पिलाने से दांत आसानी से निकलते हैं ।
• यदि पोटेशियम की कमी से दांत हिलने लगें तो अंगूर को अपने भोजन का अंग बनाइए ।
• अंगूर के नियमित सेवन से मसूड़े मजबूत होते हैं । अंगूर में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होने से यह दांतो के लिए काफी लाभदायक है।
कब्ज में (grapes) अंगूर का उपयोग:
• छोटे बच्चों को कब्ज होने पर एक चम्मच अंगूर का रस पिलाएं ।
• सोते समय 50 ग्राम अंगूर गर्म दूध के साथ खाने से कब्ज दूर हो जाती है ।
नशामुक्ति में (grapes) अंगूर का उपयोग:

• जिन लोगों को शराब की लत है, उन्हें अंगूर का रस दें , उसमें न तो शक्कर मिलाए और न खमीर उठने दें । यह मदिरा का सर्वोत्तम विकल्प है , जो शराब की आदत को छुड़ाने के साथ ही शरीर को पोषण भी प्रदान करेगा ।
• इसी प्रकार भांग अथवा अन्य नशे की आदत को छुड़ाने हेतु भी प्रतिदिन आधा किलोग्राम अंगूर का सेवन करना चाहिए ।
गठिया में (grapes) अंगूर का उपयोग :
• अंगूर शरीर से विजातीय लवण निकालने का कार्य करता है, जो गठिया रोग में बहुत उपयोगी है ।
अन्य औषधि के रूप में (grapes) अंगूर का उपयोग
• सैंधा नमक और काली मिर्च के साथ अंगूर का सेवन करने से घबराहट, जी मिचलाना , कै आदि में तुरन्त राहत मिलती है ।
• अंगूर की बेल के पत्तों को पीसकर नमक मिला लें, फिर पानी में छानकर पीने से गुर्दे के दर्द में राहत मिलती है ।
• कमजोरी दूर करने के लिए अंगूर रामबाण औषधि है ।
• टाइफाईड , वायरल आदि ज्वर रोगों में अंगूर का सेवन रोगी को शीतलता व शक्ति प्रदान करता है ।
• आधासीसी रोग में अंगूर और धनिये को रात भर पानी में भिगोकर सुबह छानकर पीना चाहिए।
• मानसिक रोग,पागलपन हिस्टीरिया आदि के रोगियों को दिन में तीन बार आधा-आधा कप ताजा अंगूर का रस दो माह तक पिलाने से काफी लाभ होता है।
• आधा सीसी के रोगियों को सूर्योदय से पूर्व लगभग 150 ग्राम अंगूर का रस पीना चाहिए ।
• स्तन पान कराने वाली महिलाएं भरपूर मात्रा में अंगूर का सेवन करें । इससे न केवल दूध में वृद्धि होती है । बल्कि दूध अधिक पौष्टिक और स्वादिष्ट हो जाता है ।
• यदि गर्मी में नाक से खून बहने लगे तो तत्काल नाक में अंगूर का रस डालें । नकसीर बंद हो जाएगी ।
• रक्ताल्पता के रोगियों के लिए अंगूरों का सेवन अत्यन्त लाभकारी है । अंगूर में मौजूद प्रचुर लौहतत्व खून में हिमाग्लोबिन में वृद्धि करते हैं ।
• अंगूर एक प्रबल कीटाणुनाशक भी है ।
• बार – बार प्यास लगने व बार – बार मूत्र आने पर अंगूर के रस की ठंडाई बनाकर पीना चाहिए ।
(grapes) अंगूर का उपयोग परहेज / सावधानियां :
अंगूर में प्राकृतिक शर्करा अत्यधिक मात्रा होती है । अतः मधुमेह के रोगियों को अंगूर का सेवन बिना चिकित्सकीय परामर्श के नहीं करना चाहिए ।
• अत्यधिक पके हुए, सड़े हुए और बेमौसम आने वाले अंगूरों का सेवन नुकसानदेह साबित हो सकता है ।
• अंगूर का खाने से पूर्व स्वच्छ जल से भलीभांति धो लें ताकि छिड़काव में जो कीटनाशक उस पर आ जाता है, वह साफ हो सके ।