Few poets of Nida Fazli | निदा फाज़ली के चंद शेर

कभी किसी को मुक्कमल जहाँ नहीं मिलता
कहीं जमीन, कहीं आस्मां नहीं मिलता |
वो तुम नहीं तो फिर कौन था वो तुम जैसा,
किसी का जिक्र तो था हर किताब में शामिल |
घर से निकले तो हो ,सोचा भी किधर जाओगे
हर तरफ तेज हवाएं हैं,बिखर जाओगे |
जिन च़िरागों को हवाओं का कोई खौफ़ नहीं
उन चिरागों को हवाओं से बचाया जाए।
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए।
राक्षस था न खुदा था पहले
आदमी कितना बड़ा था पहले
चलते-चलते रास्ता गुम हो गया,
हर तरफ जंगल नजर आने लगे।
ये बे-लहर पानी- सी क्या जिंदगी
कोई तीर फेंको ,शरारत करो।
जो मिला ,खुद को ढूंढता ही मिला,
हर जगह कोई दूसरा ही मिला।
जब से करीब हो के चले जिंदगी से हम,
खुद अपने आईने को लगे अजनबी से हम।
शायद कभी उजालों के ऊंचे दरख्त हों
सदियों से आंसुओं की चमक बो रहे हैं हम।
दुश्मनी लाख सही, खत्म न कीजे रिश्ता
दिल मिले या न मिले, हाथ मिलाते रहिए।
मुहब्बत करो या अदावत करो
कहीं कोई जीने की सूरत करो