बुलेट प्रूफ और फायर प्रूफ वस्त्र | Bullet proof and fire proof clothing information in Hindi

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आदमी की बुनियादी जरुरत – वस्त्र
वस्त्र हमारे दैनिक उपयोग की वस्तु है। वस्त्रों के बिना किसी भी सभ्य समाज की कल्पना तक नहीं की जा सकती। आदमी की जिंदगी में रोटी , कपड़ा और मकान की अहमियत के मुताबिक, रोटी के बाद दूसरी प्राथमिकता कपड़े की ही है। तन ढकने और शरीर की सुरक्षा जैसे आवश्यक कार्यों से शुरू हुआ वस्त्रों के उपयोग का यह सफर अत्याधुनिक फैशन परस्त वस्त्रों और व्यक्तित्व को निखारने वाले शानदार लिबासों तक जा पहुंचा है।
कपड़े,जो आपकी सुरक्षा करते हैं
आदमी के शरीर को ढकने के लिए आविष्कार किए हुए कपड़े आज उसके जिस्म की हिफाजत के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। दुश्मन की रिवाल्वर से निकली गोलियां और जिस्म के बीच अवैध दीवार की तरह खड़े हो जाने वाले यह वस्त्र ‘बुलेट प्रूफ’ वस्त्रों के नाम से जाने जाते हैं । किसी मजबूत आवरण द्वारा शत्रुओं से प्रतिरक्षा की मानसिकता ने ही जिरह बख्तर जैसे बचाव उपकरण को जन्म दिया।
उस युग में आमने-सामने होने वाले युद्धों में हिस्सा लेने वाले योद्धा मजबूत इस्पात से बने ‘वस्त्र’ को धारण करते थे , जिसे ‘कवच’ या ‘ जिरह-बख्तर’ कहा जाता था ।इस पर तलवार वाले आदि का प्रहार बेअसर हो जाता । युद्ध में सुरक्षा की दृष्टि से यह उपयोगी अवश्य था किंतु वजन में बहुत भारी होने के कारण असुविधाजनक था।
आधुनिक युग में ,जब अभूतपूर्व तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति के चलते समूचे राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मूल्य बदल चुके हैं, युद्धों की शैली और तरीके बदल चुके हैं। आतंकवादी हिंसा राजनीतिक विचारधारा का एक अंग बन चुकी है।ऐसी स्थितियों में अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा शैली में बदलाव आना स्वाभाविक भी है । जेड श्रेणी की सुरक्षा और अंग रक्षकों की पलटन के साथ ही महत्वपूर्ण नेता ,उद्योगपति, अभिनेता, शासनाध्यक्ष आदि आजकल अपनी सुरक्षा के लिए बुलेट प्रूफ वस्तर्
का इस्तेमाल करते हैं
बुलेट प्रूफ जैकेट
बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर आप न केवल बंदूक और व रिवाल्वर की गोलियों को बेअसर कर सकते हैं बल्कि चाकू भाला तलवार और फरसा आदि हथियार भी इस जैकेट को नहीं भेद सकते। बुलेट प्रूफ जैकेट ग्लास फाइबर और अन्य रासायनिक तत्वों से निर्मित किये जाते हैं, जो वजन में काफी हल्की होने के बावजूद इस्पात से कई गुना अधिक मजबूत होते हैं। ऐसे वस्त्रों का मूल्य बहुत अधिक रहता है। लंदन की एक विज्ञापन बुलेट का निर्माण करती है, जिनकी कीमत ₹10000 से लेकर ₹26000 तक होती है । बुलेट प्रूफ को आसानी से किसी भी सामान्य कपड़े के अस्तर में लगाकर सिलवाया जा सकता है।
बुलेट प्रूफ जैकेट का सर्वप्रथम उपयोग अमेरिका के भूतपूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने करना प्रारंभ किया ।अपने विदेश मंत्री काल के दौरान अक्सर उन्हें मध्य पूर्व की यात्राओं पर जाना पड़ता था ।इन तनावपूर्ण यात्राओं में उनकी जान को आतंकवादियों से बड़ा खतरा था ।इस कारण वह अपनी यात्रा के दौरान समूची सुरक्षा व्यवस्था के साथ में बुलेट प्रूफ जैकेट पहनना नहीं भूलते थे। इसके बाद विश्व की सभी महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्तियों में बुलेट प्रूफ जैकेट पहनने का चलन बढ़ गया।
पहनने में सुविधाजनक होने के कारण और जीवन को सुरक्षित बनाने में उपयोगी होने से बुलेट प्रूफ जैकेट का प्रचलन पिछले कुछ समय से काफी बढ़ गया है ।आज हमारे देश के प्रमुख राजनेता, शासक ,उद्योगपति ,अभिनेता आदि विदेशों से आयातित बुलेट प्रूफ जैकेट का इस्तेमाल कर रहे हैं । अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों के प्रति आतंकवादी हिंसा का काफी अंशों तक माकूल जवाब बुलेट प्रूफ जैकेट में है।
अब तो अग्निरोधी वस्त्र भी
बुलेट प्रूफ वस्त्रों के अलावा, आजकल फायर प्रूफ अर्थात अग्निरोधी कपड़े भी बनने लगे हैं। जब हम अग्निरोधी वस्त्र की बात करते हैं तो हमें तुरंत वह पौराणिक कथा याद आ जाती है , जिसमें होलिका अग्निरोधक वस्त्र पहनकर बालक भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई थी । संभवत: वह अग्निरोधी वस्त्रों की पहली परिकल्पना रही होगी। ज्ञात इतिहास में आज से कोई ढाई शताब्दी पूर्व सन 1783 में इंग्लैंड में एक बुनकर वाइल्ड ने सर्वप्रथम अग्नि रोधक वस्त्र बनाने का प्रयास किया था। उसने सुहागा, नीला थोथा, फिटकरी और हराक सीसा जैसे पदार्थों की मदद से अग्निरोधी वस्त्र बनाए। उस वस्त्र के बनाये हुए मौजे, दास्ताने आदि युग में काफी लोकप्रिय हुए।
इसके पश्चात सल्फेट , फास्फेट और क्लोराइड के लवणों का इस्तेमाल इस तरह के वस्त्र बनाने में किया गया। फिर लिलन के कपड़ों को अग्निरोधी स्वरूप प्रदान किया गया।

चंद्रमा पर जाने वाले यात्रियों की पोशाक भी अग्निरोधी वस्त्र द्वारा निर्मित की गई थी ।अंतरिक्ष यात्रा पर जाने वाले सभी व्यक्ति ऐसे वस्त्र से बनी पोशाक पहनते हैं , जिस पर अग्नि धूप और हवा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
आधुनिक युग में अग्निरोधक वस्त्रों के निर्माण में एंटी मनी ऑक्साइड और क्लोरोपैराफिन का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक से बने अग्निरोधक कपड़े बहुत मजबूत होते हैं और इन पर पानी आंधी -तूफान का भी कोई असर नहीं होता। अग्निरोधक वस्त्र फायर ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं के लिए काफी उपयोगी सिद्ध होते हैं। इसके अतिरिक्त ,आग लगने वाली आशंका वाले कार्य स्थल पर कार्यरत व्यक्ति भी अग्निरोधक वस्त्रों से अपनी जीवन रक्षा कर सकते हैं।
बुलेट प्रूफ और फायर प्रूफ वस्तुओं के अविष्कार ने जिंदगी को अधिक सुविधाजनक और सुरक्षितबनाने में मदद की है।