आदमी की बपौती है हंसी

भंगवान की बनायी दुनिया का सबसे अद्भुत जीव आदमी होता है। यह
जीवों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह हंसना जानता है। दूसरे जानवर मन
ही मन खुश हो लेते हो, खुलकर नहीं हंस पाते। वे दूसरे तरीकों से अपनी खुशी
भी जाहिर करते हैं, किंतु हंसी का खजाना तो भगवान ने सिर्फ आदमी को ही
दिया है।
इस दोपाया जानवर की हंसी की एक और खूबी है कि यह अधिकतर दूसरे
दो-पायों की हरकतों को देखकर ही हंसता है। दुनिया में हंसी की जितनी
घटनाएं, जितने विषय हो सकते हैं, उनमें से करीब तीन चौथाई आदमी से
संबधित होते हैं।
आदमी ने हंसने के तरीके भी अजीब-अजीब निकाले हैं। कोई चोरी-चोरी
हंसता है, तो कोई छत फोड़ ठहाके लगा कर, कोई मन ही मन हंसने की कला
में माहिर होता है।
जैसे कि आदमी नामक जीवकी आदत है कि वह अपने काम की वैज्ञानिक
ढंग से करता है सो उसने अपनी हंसी की भी छानबीन की। पता लगाया कि
इंसान कैसे हंसता है? क्यों हंसता है? हंसने से फायदे क्या है? वगैरह, वगैरह?
इस छानबीन का पहला नतीजा यह निकला कि हंसना एक कला है और
उसे सीखना पड़ता है। रोना मनुष्य की जन्म-जात आदत है, लेकिन हंसना
जन्मसिद्ध अधिकार है। बच्चा पैदा होते ही रोता है और ज्यों-ज्यों वह बड़ा होता
जाता है, हंसना मुस्कराना भी सीख जाता है। मां-बाप, भाई-बहन हंस-हंसकर
बच्चे से बातें करते हैं। बच्चा कौतुक से उन्हें निहारता है और धीरे-धीरे मुस्कराना
सीख जाता है।
अनेक लोगों के साथ होने पर हंसी का माहौल जोरदार जमता है। जितने
ज्यादा लोग होंगे, हंसी का माहौल उतना ही ज्यादा जोरदार होगा। कभी-कभी
मनुष्य किसी चीज को याद करके या कुछ पढ़कर अकेले में भी हंसने लगता है।
लेकिन इस हंसी में भी दूसरा व्यक्ति शरीर से उपस्थित न होकर भी वहां मौजूद
होता है क्योकि हंसने वाला अपने मस्तिष्क में किसी घटना-कम का चित्र बना
लेता है और मस्तिष्क में वह घटनाकम ज्यों का त्यों बन जाने के कारण हंसी
आती है। शायद यही कारण है कि फांस के मशहूर दार्शनिक हेनरी बर्गसा ने
हंसी को एक ‘सामजिक घटना’ कहा है। बर्गसा का कहना है कि हंसी हमारी
सामाजिक बुराइयों को दूर करने का एक तरीका भी है।
हंसी क्यों आती है? इस बारे में विद्वानों की अलग-अलग राय है। इंग्लैण्ड
के दार्शनिक हॉब्स ने करीब तीन सौ साल पहले बताया था कि हंसी में हंसने
वाले को सुख मिलता है। उसे लगता है कि जिस कमजोरी को देख कर वह हंस
रहा है वह कमी उसमें नहीं है और इससे उसका आत्मसम्मान बढ़ता है। लेकिन
हम देखते हैं कि आजकल तो इसका उल्टा भी होता है। अब आइए जरा
वैज्ञानिकों की राय जानें। वैज्ञानिक कहते हैं कि हंसने या जोर से ठहाका लगाने
से फेफड़े साफ होते हैं। दिमाय का तनाव कम हो जाता है और इस कारण हंसी
आदमी की बपौती है
हंसी